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September 15, 2020
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनातनी के बावजूद बाज नहीं आ रहे चीन ने अब पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम शुरू कर दिया है। एक महीना पहले भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे के पास ऐसे ही केबल बिछाए जाने की जानकारी दी थी।
इसके चलते चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों को भारतीय सैन्य ठिकानों की असली स्थिति का पता चल सकेगा। चीन की नई करतूत का खुलासा सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ है। इस जानकारी के बाद से भारतीय सेना हाई अलर्ट पर है।
पहले झील के उत्तरी किनारे के पास के इलाकों में, अब दक्षिणी छोर पर बिछा रहा केबल
भारत सरकार के दो अधिकारियों का कहना है कि सीमा पर अपने संचार तंत्र को मजबूत बनाने के लिए चीन की सेना ऑप्टिकल फाइबर केबल का नेटवर्क बिछा रही है। अधिकारियों के मुताबिक, पीएलए की मंशा गतिरोध वाली जगहों पर लंबे समय तक रुकने की है और इसलिए वह अपने संचार तंत्र को मजबूत करने में जुटी है।
दरअसल, पैंगोंग झील की अहम चोटियों पर भारतीय जवानों के कब्जे से बौखलाई चीन की सेना इसे दोबारा हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, मगर भारतीय जवानों की सतर्कता के चलते वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पा रही है। झील के 70 किमी के दायरे में दोनों देशों के बड़ी संख्या में टैंक और जंगी विमान तैनात हैं।
स्पांगुर गैप में रेतीली जगहों पर केबल
दो भारतीय अधिकारियों ने चीन की नई चाल की जानकारी देते हुए बताया कि हमारी सबसे बड़ी चिंता यह है कि जो केबल बिछाई जा रही है, वह हाईस्पीड संचार वाली है। इसे पैंगोंग के दक्षिणी छोर के पास बिछाया जा रहा है, जहां पर इन दिनों तनाव चरम पर है।
अधिकारी ने बताया कि स्पांगुर गैप समेत कई इलाकों के पास ये संचार केबल गड्ढों के नीचे रेतीली जगहों पर बिछाए जा रहे हैं। इससे पहले ओपन इंटेलिजेंस स्रोत डेट्रेस्फा ने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से दावा किया थी कि चीन ने गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाके में फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाने शुरू कर दिए हैं।
भारतीय सेना अभी रेडियो संचार पर निर्भर
एक पूर्व भारतीय सैन्य खुफिया अधिकारी ने बताया कि ऑप्टिकल फाइबर केबल संचार सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इनके जरिये सैन्य ठिकानों की तस्वीरें और उससे जुडे़ दस्तावेज आसानी से भेजे जा सकेंगे। अगर आप रेडियो पर बोलोगे तो यह तुरंत पकड़ में आ सकता है।
मगर, ऑप्टिकल फाइबर केबल से ऐसे अहम संवाद सुरक्षित होते हैं। भारतीय सेना अभी भी रेडियो संचार पर ही निर्भर है। हालांकि, सेना की यह बातचीत कूट संदेशों में ही होती है, जिसका अंदाजा लगाना नामुमकिन ही है।
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