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September 12, 2020
नासा चांद की मिट्टी, चट्टान और कुछ अन्य खनिज खरीदना चाहता है। इसके लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी को कुछ कंपनियों की तलाश है जो चांद पर माइनिंग कर सकें। जल्द ही नासा इसके लिए टेंडर निकालने जा रहा है। इस ग्लोबल टेंडर में धरती के किसी भी कोने से रिसर्च करने वाली कंपनियां भाग ले सकती हैं। इस मुहिम के जरिए नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) आकाशगंगा संबंधी अपनी लालसा को कानून रूप देना चाहता है। मिशन के लिए चयनित कंपनी को मून ट्रिप का खर्च खुद वहन करना है। वहां से मिट्टी या चट्टानों के नमूने एकत्र करना है। नासा अपने इस प्रयास के जरिए चांद पर खनन को लेकर कानून तौर पर एक दृष्टांत प्रस्तुत करना चाहता है, ताकि वह भविष्य में वह चंद्रमा की सत से बर्फ, हीलियम व अन्य खनिज पदार्थों के खनन के लिए अधिकार मिल जाए। दूसरी ओर नासा भविष्य के स्पेस मिशन के लिए स्थानीय मटीरियल का इस्तेमाल करना चाहता है। नासा के एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्राइडेनस्टीन ने कहा कि चांद पर खनन मुहिम के लिए अभी पैसा तय नहीं किया गया है, लेकिन प्रतिस्पर्धा के आधार पर इसे बाद में फाइनल किया जाएगा। चांद पर माइनिंग के लिए नासा के प्रस्तावित टेंडर में तकरीबन छह कंपनियां दावेदार हो सकती हैं। इसमें कार कंपनी टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कोर्पोरेशन और एस्ट्रोबायोटिक्स टेक्नोलॉजी शामिल हैं। चांद की जमीन पर कार्गो या एस्ट्रोनॉट्स को उतारने को लेकर ये कंपनियां पहले ही नासा का कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर चुकी हैं। दरअसल, यूनाइटेड नेशंस आउटर स्पेस ट्रीटी ऑफ 1967 के अंतर्गत अंतरिक्ष में गतिविधियां नियंत्रित की जाती हैं। इसके तहत कोई भी देश सैन्य या न्यूक्लियर मकसद से अंतरिक्ष में कोई भी गतिविधि नहीं कर सकता है। स्पेस किसी भी हिस्से में किसी भी देश की संप्रभुता नहीं है। शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए ही स्पेस मिशन की अनुमति होती है। हालांकि ट्रीटी में स्पेस माइनिग संबंधी जिक्र नहीं है। वहीं, नासा के एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्राइडेनस्टीन का कहना है कि अब समय आ गया है कि स्पेस के संसाधनों के खनन और व्यापार के लिए रेग्युलेटरी बननी चाहिए।
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