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September 9, 2020
एक तरफ लोग कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ इसके बाद बेरोजगारी जैसी समस्याएं भी बढ़ी हैं। इन समस्याओं के अलावा राजस्थान के एक कस्बे में बसे लोगों को पीने के पानी जैसी आधारभूत सुविधा के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। राजसमंद जिले के हीरा का बड़िया गांव में करीब दो हजार लोग रहते हैं।
हीरा का बड़िया गांव आखिरी छाेर पर पहाड़ियाें में बसा है। यहां के हर व्यक्ति की सुबह दिनभर के पानी की चिंता में शुरू हाेती है। इसी चिंता में रात की नींद उड़ी रहती है। ऐसा काेई साल-दाे साल से नहीं। बरसाें से है। मानसून के दिन हैं इसलिए राहत सिर्फ इतनी है कि 50 फीट गहराई की बजाय कुई में पानी ऊपर 10-15 फीट पर आ गया है।
गांव के युवा कुए में अंदर उतरकर सीढ़ीनुमा पत्थराें पर खड़े रहकर रस्सी से बंधे केन, बाल्टियाें में पानी भरते हैं।
बच्चे-बुजुर्ग, महिला-पुरुष सभी के दिन की शुरुआत पीने के पानी का इंतजाम कर लेने से हाेती है। कुए पर भीड़ खूब हाे जाती है। कुछ युवा कुए में अंदर उतरकर सीढ़ीनुमा पत्थराें पर खड़े रहकर रस्सी से बंधे केन, बाल्टियाें में पानी भरते हैं, जाे महिलाएं व बच्चे रस्साें से ऊपर खींचते हैं।
ऐसा इसलिए कि काम कुछ जल्दी हाे जाए। पूरे साल एकमात्र कुई ही सहारा है। जहां दाे-दो घंटे में नंबर आता है। पानी की राशनिंग की हुई है। एक परिवार काे गर्मी में दो-तीन घड़े ही पानी मिलता है।
आठ हैंडपंप, किसी का पानी पीने लायक नहीं: लाेगाें ने बताया कि दाेनाें जिलाें के आखिरी छाेर पर हाेने से सरकारी याेजनाएं या सुविधाएं पहुंच नहीं पाती। पानी सबसे बड़ी समस्या है। युवक-युवतियाें की शादी-सगाई में भी परेशानी होती है। शंकरलाल भाट ने बताया कि हाईवे 158 से सटा हाेने के बावजूद नल नहीं देखे। गर्मी में 300-500 रुपए में टैंकर मंगवाते हैं, जिनका पानी घर में बने टांकों में भरकर रखते हैं। गांव में 8-10 हैंडपंप हैं। इनका पानी पीने योग्य नहीं है।
विधायक काेष से टंकी स्वीकृत, बनने का इंतजार: चतरसिंह रावत ने बताया कि मीठा पानी हाेने से किसी वक्त रियासत के गोविंदसिंह राठौड़ भी इस कुई से पानी राजमहल ले जाते थे। जब सन 2012 में अकाल पड़ा तब दूर-दूर से लाेग वाहनाें से आकर इस कुए का पानी ले जाते थे। सरपंच लक्ष्मणसिंह रावत का कहना है कि भीम विधायक से बात कर टंकी स्वीकृत करवा दी गई है। यह जल्द ही बन जाएगी। इसके बाद घरों में नल कनेक्शन दिए जाएंगे।
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