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राजस्थान न्यूज़: :निजी स्कूल 3 किस्तों में ट्यूशन फीस का 70 प्रतिशत ले सकेंगे, कोरोनाकाल में निजी स्कूलों की फीस पर बड़ा फैसला

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September 8, 2020

राज्य सरकार; निजी स्कूल 30 फीसदी स्टाफ नहीं बुला रहे, न वाहन चल रहे

कोरोनाकाल में निजी स्कूलों की फीस वसूली को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने निजी स्कूल संचालकों को राहत देते हुए अंतरिम व्यवस्था की है कि वे ट्यूशन फीस की 70% राशि अभिभावकों से 3 किस्तों में वसूल सकेंगे।

कोर्ट ने कहा कि ये तीन किस्तें मार्च 2020 से 30 सितंबर 2020, 30 नवंबर 2020 और 31 जनवरी 2021 को ली जाएं। वहीं, अदालत ने स्पष्ट किया कि यह फीस नहीं देने पर स्टूडेंट्स काे केवल ऑनलाइन क्लासेज में शामिल होने की मंजूरी नहीं दी जाए लेकिन उस स्टूडेंट का नाम स्कूल से नहीं काटा जाए।

अदालत ने कहा कि बाकी 30 फीसदी फीस का मुद्दा याचिका के अंतिम निस्तारण के स्तर पर तय किया जाएगा। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस इन राजस्थान व प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर दिया।

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने निजी स्कूलों की फीस स्थगित करते हुए स्कूल संचालकों की वित्तीय परेशानियों पर कोई ध्यान नहीं दिया जो कि उन्हें फीस का भुगतान नहीं होने के कारण हो रही हैं। हालांकि, अभिभावकों पर भी पूरी ट्यूशन फीस के भार को फिलहाल नहीं डाला जा सकता।

हाईकोर्ट में निजी स्कूल vs राज्य सरकार

निजी स्कूल; हमारा आय का एकमात्र स्रोत फीस है, वेतन जैसे खर्चे कैसे देंगे

  • प्रार्थी स्कूल संचालकों की ओर से अधिवक्ता दिनेश यादव व अलंकृता शर्मा ने राज्य सरकार के 9 अप्रैल 2020 व 7 जुलाई 2020 के आदेशों को चुनौती देते हुए कहा कि स्कूल संचालक स्कूल फीस कानून के तहत अभिभावकों से फीस लेते हैं।
  • निजी स्कूलों के पास आय का एकमात्र जरिया स्कूल फीस ही होती है। फीस से ही टीचर और स्टाफ आदि के वेतन के साथ ही स्कूल विकास के लिए लोन व अन्य किश्तों का भुगतान होता है, फीस न ली तो कैसे भरेंगे?।
  • स्कूल संचालकों को बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई का खर्च भी वहन करना पड़ रहा है। इसलिए राज्य सरकार के स्कूल फीस स्थगित करने वाले आदेश को रद्द किया जाए और याचिका लंबित रहने के दौरान ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दी जाए।

राज्य सरकार; निजी स्कूल 30 फीसदी स्टाफ नहीं बुला रहे, न वाहन चल रहे

  • राज्य सरकार की ओर से एएजी राजेश महर्षि का कहना था कि निजी स्कूल संचालकों ने याचिका के साथ में मार्च 2020 से लेकर अभी तक स्कूलों में किए गए आधारभूत विकास पर खर्च की गई राशि का ब्योरा नहीं दिया है।
  • निजी संचालक स्कूलों में 30 प्रतिशत से ज्यादा स्टाफ को स्कूल में नहीं बुला रहे हैं और उनके स्कूल वाहन भी फिलहाल नहीं चल रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों पर पूरी फीस वसूलने का दबाव नहीं डाला जा सकता है।
  • आरटीई कानून के तहत कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चों को पढ़ाई का अधिकार है और स्कूल संचालक फीस जमा नहीं कराने की स्थिति में उन्हें नहीं निकाल सकते। इसलिए कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के बच्चोें से फीस की वसूली नहीं की जाए।

राज्य सरकार के फीस न वसूलने के आदेश को दी गई थी चुनौती

राज्य सरकार ने कोरोना के कारण अप्रैल माह में आदेश जारी कर निजी स्कूलों को अपनी फीस स्थगित करने को कहा था। लेकिन जुलाई माह में फिर आदेश जारी कर स्कूल खुलने तक फीस स्थगित करने और फीस जमा नहीं कराने की स्थिति में स्टूडेंटस का नाम नहीं काटने के लिए कहा।

सीडलिंग ग्रुप के डॉ. बख्शी बोले-शिक्षकों व अभिभावकों के लिए राहत भरा निर्णय

  • निजी स्कूलों में फीस पर आया कोर्ट का निर्णय ऐतिहासिक है। यह शिक्षकों, अभिभावकों, निजी शिक्षण संस्थानों सभी के लिए राहत भरा है। यह तन्मयता से जुटे लोगों के आत्मसम्मान को बढ़ाएगा। - डॉ. संदीप बख्शी, निदेशक, सीडलिंग ग्रुप ऑफ स्कूल्स

एक्सपर्ट; हायर क्लासेज के बच्चों की फीस 80 हजार है, तो 24 हजार का फायदा होगा

  • पैरेंट्स को डबल फायदा होगा। जैसे हायर क्लासेज के बच्चों की फीस करीब 80 हजार है तो उन्हें करीब 24 हजार का फायदा होगा। वहीं, टीचर्स को भी वेतन मिलने से उनकी परेशानियां भी दूर हो सकेंगी। - डॉ. रुचिरा सोलंकी, सीईओ टैगोर पब्लिक स्कूल


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