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September 8, 2020
एमडीएस यूनिवर्सिटी में चल रहे रिश्वत के खेल के उजागर होने के बाद अब यूनिवर्सिटी के कई अधिकारी भी एसीबी के राडार पर हैं। एसीबी की टीम ने कुलपति प्रो. आरपी सिंह, निजी ड्राइवर रणजीत चौधरी और रिश्वत देने आए काॅलेज के प्रतिनिधि महिपाल को गिरफ्तार करने के बाद परीक्षा विभाग और जीएडी के अधिकारियों काे भी पूछताछ के लिए बुलाया है।
माना जा रहा है कि इस मामले में एक डिप्टी रजिस्ट्रार संदेह के घेरे में है। जल्द ही उससे भी पूछताछ की जा सकती है। निजी काॅलेज में सीटें बढ़ाने और परीक्षा केंद्र बनाने के एवज में ली जा रही रिश्वत का खुलासा हाेने के बाद अब यूनिवर्सिटी में खलबली मच गई है। एफिलेशन और सीटें बढ़ाने और परीक्षा सेंटर बनाने संबंधित शाखाओं से जुड़े कर्मचारियाें और अधिकारियाें काे भी पूछताछ का हिस्सा बनाने की तैयारी है। सूत्राें का कहना है कि सोमवार शाम काे परीक्षा नियंत्रक काे एसीबी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। इसके अलावा जीएडी में तैनात एक कर्मी से भी पूछताछ की गई। इसके अलावा एफिलेशन का मामला देख रहे एक अधिकारी पर संदेश जताया जा रहा है।
एसीबी अधिकारियाें के मुताबिक जिस मामले में रिश्वत ली गई, उससे संबंधित फाइल तलाशी के दाैरान कुलपति के टेबल पर मिली। एसीबी की टीम ने दाे बार कुलपति चैंबर की तलाशी ली। यहां से कई फाइलें और दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। इसके अलावा वीसी आवास और कुलपति के सरकारी वाहन की भी तलाशी ली गई।
टीम ने कुलपति प्राेफेसर आरपी सिंह, उनके निजी चालक और सुरक्षाकर्मी रणजीत के माेबाइल फाेन और लैपटाॅप जब्त किए हैं। सुबह राष्ट्रपति के वेबिनार में शामिल थे वीसी, शाम को रिश्वत मामले में गिरफ्तार
कुलपति के कार की तलाशी लेती एसीबी टीम।
नई शिक्षा नीति को लेकर सोमवार सुबह राष्ट्रीय स्तर पर वेेबिनार का आयोजन था। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्री, राज्यपाल सहित देशभर के कुलपति शामिल हुए। वेबिनार में प्रो. आरपी सिंह ने भी भाग लिया, जिन्हें शाम को एसीबी ने रिश्वत मामले में गिरफ्तार कर लिया।
आगे क्या : वीसी का इस्तीफा या होंगे बर्खास्त!
यदि इस मामले में कुलपति प्राेफेसर आरपी सिंह का इस्तीफा लिया जाता है या उन्हें बर्खास्त किया जाता है ताे नए सिरे से कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी। वीसी सर्च कमेटी का गठन हाेगा, उसके बाद इस पद के लिए उम्मीदवाराें के आवेदन बुलाए जाएंगे। आवेदनाें की स्क्रूटनी के बाद कमेटी कुछ नाम कुलाधिपति काे भेजेगी।
इसके बाद राज्य सरकार और कुलाधिपति की सहमति से नए कुलपति का चयन किया जाएगा। इस प्रक्रिया में तीन से छह माह लग सकते हैं। ऐसी स्थिति में यूनिवर्सिटी काे एक बार फिर बगैर कुलपति के ही संचालित किया जाएगा।
कई बार विश्वविद्यालय की धूमिल हुई छवि
इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं, जब विवि की छवि धूमिल हुई। एमडीएस यूनिवर्सिटी में साल 1999 में टीआर शीट में फेरबदल करने का मामले सामने आया था। पैसा लेकर टीआर शीट में नंबर बदलने का खेल हुआ था। 2003-04 में रिवैल्यूवेशन के अंकों में फेरबदल करने का बड़ा मामला सामने आया था।
इसके बाद 2009 में मेडल कांड हुआ, जिसमें दीक्षांत समाराेह में टाॅपर्स की जगह किसी और काे गाेल्ड मेडल दे दिया था। ‘भास्कर’ के इस खुलासे के बाद डीआर परीक्षा एचएस यादव काे सस्पेंड कर दिया गया।
इसी सत्र में मैनेजमेंट विभाग में गड़बड़ी सामने आई थी। जिसमें प्राेफेसर सतीश अग्रवाल पर रिश्वत के आराेप लगे थे और उन्हें सस्पेंड किया गया था। लंबे समय तक सस्पेंड रहने के बाद सतीश अग्रवाल वापस बहाल हुए लेकिन एक छात्रा से रिश्वत लेने के मामले में एसीबी की कार्रवाई हुई। इसके बाद से आज तक वह सस्पेंड ही हैं।कुलपति प्राे. आरपी सिंह और विवाद का चाेली दामन का रहा है साथकुलपति प्राेफेसर आरपी सिंह और विवाद का चोली दामन का साथ रहा है।
मेरठ यूनिवर्सिटी के कुलपति रहते हुए कविता सिंह मर्डर केस में उनका नाम जुड़ा था। हालांकि, बाद में इस मामले में वे बरी हो गए। बरेली काॅलेज, बरेली के प्राचार्य रहते हुए भी कई अनियतित्ताओं के आराेप प्राेफेसर आरपी सिंह पर लगे। जाेधपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति रहने के दौरान अनियमितताओं के मामले में नाम सामने आया। हालांकि हर मामले में प्राेफेसर सिंह बचते चले गए।
अजमेर में पहले भी पकड़ी गईं बड़ी मछलियां
एसीबी ने रिश्वत खाेरी और भ्रष्ट आचरण में लिप्त ऊंचे पदाें पर आसीन कई लाेगाें काे पहले भी पकड़ा है। जिला जज अजय शारदा काे एसीबी ने रिश्वत खाेरी मामले में गिरफ्तार किया था। जिला पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात आईपीएस राजेश मीणा काे भी थाने से मंथली वसूलने के मामले में एसीबी गिरफ्तार कर चुकी है।
राजस्थान लाेक सेवा आयाेग के तत्कालीन चेयरमैन डाॅ. हबीब गाेरान पर भी एसीबी शिकंजा कस चुकी है। कैटल फीड प्लांट में घाेटाले में शामिल आला अधिकारी सुरेन्द्र शर्मा, यूआईटी के तत्कालीन चेयरमैन नरेन शाहनी भगत भी एसीबी के शिकंजे में फंस चुके हैं।नियुक्ति के 3 दिन बाद ही कुलपति के अधिकार हो गए थे सीज
प्राे. आरपी सिंह से पहले प्राे. विजय श्रीमाली एमडीएस विश्वविद्यालय के कुलपति थे। जुलाई 2017 में उनकी माैत हाेने के बाद लंबे समय यह पद खाली रहा। इसके बाद अक्टूबर 2018 में इस पद पर प्राेफेसर आरपी सिंह की नियुक्ति हुई, लेकिन ज्वाइन करने के तीन दिन बाद ही हाईकाेर्ट में उनके खिलाफ याचिका दर्ज हाेने पर कुलपति के अधिकार सीज कर दिए गए।
करीब 11 माह बाद सितंबर 2019 में यह अधिकार बहाल हुए और प्राेफेसर आरपी सिंह ने कामकाज संभाला। प्राेफेसर सि्हं छह माह ही काम कर पाए थे कि काेराेना के चलते कामकाज ठप पड़ गया। अब सोमवार को कुलपति रिश्वत मामले गिरफ्तार हो गए।
कुलपति का मेडिकल कॉलेज भी
सूत्र का कहना है कि कुलपति प्राेफेसर अारपी सिंह का एक मेडिकल काॅलेज भी है, जाे हाल में शुरू किया गया है। बरेली के बदायूं राेड ढकिया में यह आयुर्वेदिक काॅलेज संचालित है, जिसे शनिवार काे ही एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने मान्यता दी है।
वीसी ने कहा था...चौहान साहब से मिल लेना एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरपी सिंह के खिलाफ जून महीने में एसीबी मुख्यालय को बदनोर स्थित निजी कॉलेज के संचालक की शिकायत मिली थी। शिकायतकर्ता ने बताया था कि कॉलेज की संबद्धता के लिए वीसी प्रो. सिंह ने उससे ₹दो लाख की डिमांड की है। शिकायत में घटना बताते हुए कहा गया था कि वीसी के ड्राइवर रंजीत ने उसे फोन कर बुलाया था, जब वह वीसी के रूम में गया तो वहां शैक्षणिक शाखा के कुलसचिव डीएस चौहान मौजूद थे।
वीसी ने शिकायतकर्ता से कहा था कि तुम बाहर जाओ, चौहान साहब से बाद में बात कर लेना। चौहान ने बाहर आकर उनसे कहा कि मेरा कोई लेना देना नहीं है, लेकिन वीसी साहब डिमांड कर रहे हैं, डेढ़ लाख रुपए बोला है। इस शिकायत पर एसीबी मुख्यालय ने वीसी और उनसे संबंधित अन्य लोगों को सर्विलांस पर लिया था। इसी जांच में सोमवार को नागौर का यह दूसरा मामला पकड़ा गया।
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