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July 19, 2019
*वाह !!!चिन्मयी जी !आपको नमन!*
*सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
और लीजिए नगर निगम उपायुक्त चिन्मयी गोपाल का नया शाहकार। आना सागर के पास बर्ड- पार्क बनाया जाएगा। यानी... पक्षियों का बगीचा। एक करोड़ की लागत से चिड़ियाओं के लिए शहर में बागीचा बनाने का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूँ।चिन्मयी गोपाल जी !आप ऐसे ही बागीचे बनवाती रहें ताकि स्मार्ट सिटी का सपना ये चिड़ियाएँ पूरा कर सकें। इस शहर को इस तरह के कई बागीचों की ज़रूरत है। चलिए आपने चिड़ियाओं के साथ शुरुआत तो कर ही दी है ।
अब मैं आपको कुछ और बागीचे बनाने की सलाह देता हूँ। स्मार्ट सिटी के लिए यह बागीचे बहुत ज़रूरी हैं।
मेहरबानी करके एक बगीचा आप शहर के आवारा जानवरों के लिए भी बनाएं। शहर की सड़कों पर बेहद ख़ूबसूरत गाय, भैंसें और उनके कुनबे पाले जाते रहे हैं ।आए दिन इन जानवरों की वजह से दुर्घटनाएं होती रहती हैं ।ये जानवर सड़कों पर रास लीला करते शोभा नहीं देते। बेहतर होगा नगर निगम परिसर में ही कोई बागीचा बनाकर इन जानवरों को सम्मान प्रदान किया जाए।
आना सागर के पास चिड़ियों की सुविधाओं के लिए जैसे आप एक करोड़ रुपए ख़र्च कर रही हैं वैसे ही आप इन आवारा सांड गाय भैंसों के लिए भी ख़र्च करें ताकि इनकी नयनाभिराम करतूत लोग बागीचे में जाकर देख सकें।नार्किक यातनाओं वाले कांजी हॉउसों को भी आप बागीचे का सुंदर रूप दे सकती हैं। इस तरह के बाघीचों को आप शहर के सुप्रसिद्ध लोगों के नाम से भी जोड़ सकती हैं।जैसे शहर की गौ शालाओं के नाम जुड़े हैं।आप चाहें तो मैं इसके लिए आपको लोगों के नाम भी सुझा सकता हूँ।जैसे काली चरण खंडेलवाल पार्क।
चिन्मई जी आप बेहद संवेदनशील महिला हैं।आप प्लीज राजेश टंडन की बात पर ना जाएं जो आपको फूलन देवी कहते रहे हैं। मगर मैं आपको संवेदनाओं की मात- शक्ति के रूप में सम्मान देता हूँ ।आप चिड़ियों के लिए जब इतना सोच सकती हैं तो प्लीज शहर के इन प्रतिभशाली *सूअरों* के लिए भी सोचिए ।मोटी खाल के यह जानवर शहर भर में विभिन्न प्रकार की क्रियाएं बेशर्मी से करते देखे जा सकते हैं। वयस्क और नाबालिक सूअरों की संख्या इस शहर में लगभग 18 लाख है जो अजमेर की आबादी से 3 गुना ज़्यादा है ।ये सूअर की औलादें शहर की स्मार्टनेस को जिस तरह प्रभावित करती हैं आप से छुपा नहीं है। आप कभी फुर्सत में अपना कुछ समय इन अबोध सूअरों के साथ बिता कर देखिए। इनकी स्वास्थ वर्धक क्रियाएं आपका तहे दिल से मनोरंजन करेंगी। इनके खूबसूरत बच्चे आपको दुआएं देंगे ,यदि आपने एक बार इनके लिए भी कोई पार्क बना दिया तो। सच कह रहा हूँ सुअरों के पार्क में जाकर लोग उनसे प्रेरणा ले पाएंगे। वैसे भी शहर में सूअरों से प्रेरित होकर कई नेता, अधिकारी ,विद्यार्थी ,बुद्धिजीवी ,पत्रकार मोटी खाल के हो गए हैं। जैसे सूअर से यदि कोई वाहन धारी टकरा जाए तो सुअरों का कुछ नहीं बिगड़ता बिचारा वाहन- धारी ही कई सालों तक अस्पताल के चक्कर काटता रहता है।
आप जब चिड़ियों के लिए इतना बड़ा दिल रखती हैं तो दो-चार और भी पार्क बना सकती हैं ।
मैं आपसे ये नहीं कहता कि आप सिर्फ़ जानवरों के लिए ही पार्क बनाओ। आप अपराधी और आवारा किस्म के लोगों के लिए भी पार्क बना सकती हैं। एक ऐसा पार्क जहां जाकर शराबी शराब पी सकें।आवारा लोग अपनी पुरज़ोर कारगुजारी निर्विघ्न सम्पन्न कर सकें ।जहां रात में घूमने वाले तीसरे टाइप के लोग चैन से अपने ग्राहकों को संतुष्ठ कर सकें।
ऐसा पार्क बनाए जाने से पूरा शहर उन सब हरकतों से बचा रहेगा। अभी तो लोग जहां चाहे शराब का सेवन करने लगते हैं ।कार्रो में मधुशाला खुल जाती हैं ।विभिन्न चौराहों पर नारी परिवेश में घूम रहे नाना प्रकार के लोग नाना प्रकार के लोगों को तलाशते नजर आते हैं। शहर में उनके लिए कोई स्थान नहीं है ।आप चाहें तो इन लोगों के लिए भी पार्क विकसित कर सकती हैं ।इसके लिए आप शहर के अनुभवी ब्लोगेर्स से भी मदद ले सकती हैं।मुझे यकीन है श्री मित्तल जी,ओम माथुर जी,गिरधर तेजवानी जी,नरेश राघानी जी और भी कई जी आपकी मदद करने को तत्पर रहेंगे।मुझे ये भी उम्मीद है कि आप चिड़ियों के साथ-साथ और भी कई पार्क बनाएंगी। ऐसा आप ही कर सकती हैं। आप ही ऐसा कर दिखाएं ।शहर आपका ऋणी रहेगा।
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