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July 15, 2019
*अजमेर के खुजली वाले कुत्ते*
*सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*खुजली* इस शहर की आम बीमारी है ।अजमेर में रहने वाले 80% जीव इस महामारी से ग्रस्त हैं ।फ़र्क़ इतना है कि किसी की खुजली दिखाई दे जाती है ,किसी की नज़र नहीं आती ।
अजमेर के कुत्तों में यह बीमारी साफ़ दिखाई देती है। अबोध और नाबालिक उम्र के कुत्तों और कुत्तियों को आप गली-कूंचों में शरीर के विकट हिस्सों पर पंजे मारते देख सकते हैं। कभी-कभी तो कुत्तों की औलादे खुजा-खुजा कर अपने अंग प्रत्यंगों को लहूलुहान तक कर देती हैं।कुत्तों की ही तर्ज पर अजमेर के अधिकांश लोगों में खुजली की बीमारी है ।
किसी से भी आप कुछ देर बात करके देख लीजिए ,उसकी खुजली का प्रकार ,आकार और प्रतिशत आपको समझ में आ जाएगा ।
अजमेर के लोगों में कई प्रकार की खुजलियां विकसित है। नेतागिरी की खुजली ,धन कमाने की खुजली, शोहरत कमाने की खुजली, अखबारों में नाम छपवाने की खुजली, आए रोज़ कहीं न कहीं से पुरस्कार पाने की खुजली ।इसके अलावा भी शरीर के कई हिस्सों की खुजली होती है जिनकी चर्चा मैं फिलहाल नहीं करना चाहता। अजमेर में सबसे ज़्यादा लोग नेतागिरी की खुजली से ग्रस्त हैं। नेतागिरी का कीटाणु ज़ाहिरना तौर पर तो ज़ुबान पर ही सबसे पहले नज़र आता है पर इसका असली निवास स्थान आदमी के निचले भाग में होता है ,जिसे लोग गर्व से अलग- अलग नाम से पुकारते हैं .चकरी नुमा ये स्थान नेतागिरी के कीटाणुओं के लिए सबसे उपयुक्त होता है ।नेतागिरी की खुजली मीडिया के जरिए दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति करती है। पहले अख़बारों के माध्यम से नेतागिरी की खुजली मिटाई जाती थी ।आजकल सोशल मीडिया पर आप लोगों को सुबह से देर रात तक खुजली मिटाते देख सकते हैं ।
सड़क पर किसी की किसी के वाहन से ज़रा सी टक्कर हो जाए फिर देखिए ,कितने लोग आपको खुजली मिटाते मिल जाएंगे ।जाहिर है कि घटनाएं नेतागिरी की खुजली को प्रोत्साहित करती हैं ।जिस व्यक्ति को खुजली हो जाती है वह देखते ही देखते नाना प्रकार की बक खोदी(असली नाम आपको मालूम है) करने लगता है ।
यह खुजली हर राजनीतिक पार्टी के शरीर में अलग-अलग रंगों की होती है ।जैसे भगवा खुजली, सफेद खुजली, हरी खुजली ,ख़ाकी खुजली।कई लोगों में खुजली रंग बदलती रहती है। हां गिरगिट की तरह।
दोस्तों ! कुत्ते जिस तरह खुजली हो जाने पर अपने नीचे वाली चकरी को कठोर फर्श पर रगड़ते रहते हैं इसी प्रकार नेतागिरी की खुजली वाले लोग अपनी चकरी को हल्के हल्के बल प्रयोग से कुर्सी पर रगड़ते नजर आ सकते हैं ।
अजमेर में छपास की खुजली भी पिछले 20 वर्षों में बड़ी ऊर्जा के साथ विकसित हुई है ।खुजली इच्छाधारी नाग की तरह होती है। जिसे ये खुजली हो जाए वह सबसे पहले तो किसी संस्था का निर्माण करता है। निर्माण सिर्फ काग़ज़ पर होता है ।जो छपने के बाद अखिल भारतीय स्तर का बन जाता है।बीमार राष्ट्रीय अध्यक्ष हो जाता है ।जैसे कोई नपुंसक अखिल भारतीय छक्का समाज का संरक्षक कहलाए।शहर में कई तो ऐसे छपास पीड़ित हैं जो अखबारों के संपादक जी की टेबल के आगे मीठा तेल लेकर बैठे रहते हैं।
वैसे तो अपन ने शहर की अनेक खुजलियों पर शोध कर रखा है मगर आज की मुलाक़ात बस इतनी ,बात फिर करेंगे हम चाहे जितनी
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