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June 8, 2019
नई दिल्ली/माले. नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर मालदीव और श्रीलंका जा रहे हैं। शनिवार को मोदी मालदीव की संसद को भी संबोधित करेंगे। ये दूसरी बार है, जब मोदी मालदीव की यात्रा पर जा रहे हैं। इससे पहले मोदी पिछले साल राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में मालदीव गए थे। मोदी सरकार की नेबर फर्स्ट (पड़ोसी पहले) की पॉलिसी रही है। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर भूटान गए थे।
एक्सपर्ट व्यू: पाक-चीन को कमजोर करना है तो मालदीव जरूरी
विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह बताते हैं कि मालदीव ऐसा देश है जो भारत के डिफेंस और स्ट्रैटजी के लिए जरूरी है। दक्षिण एशिया में भारत के लिए सबसे ज्यादा भरोसेमंद मालदीव ही है। भारत मालदीव के साथ हिंद महासागर में नई रणनीति तैयार करना चाहता है। अगर भारत को मजबूत होना है तो मालदीव का साथ जरूरी है। अगर चीन वहां मजबूत होता है तो भारत कमजोर होगा, लेकिन भारत वहां मजबूत होता है तो इससे चीन और पाकिस्तान दोनों कमजोर होंगे।
चीन का आर्थिक असर कम करने की कोशिश
रहीस सिंह बताते हैं कि दक्षिण एशिया के देशों को चीन आर्थिक मदद के नाम पर कर्ज में डुबा रहा है। पाकिस्तान और मालदीव भी इससे प्रभावित हैं। चीन का वन बेल्ट-वन रोड प्रोजेक्ट मालदीव के मारू और श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से गुजरेगा। इसके जरिए चीन भारत को घेरने की तैयारी कर रहा है। इसलिए भारत को मालदीव की जरूरत है। अगर भारत आर्थिक मदद देता है तो मालदीव हमारे साथ आएगा, जिससे हमें ही फायदा होगा।
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