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April 7, 2017
सम्मान देने से मिलता है मांगने से नहीं --मुनि प्रमाण सागर महाराज मदनगंज किशनगढ़ (भेरू सिंह चौहान) भारत विकास परिषद व सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा आयोजित दिव्य सत्संग माला प्रवचन के तहत शुक्रवार को -मुनि प्रमाण सागर महाराज ने सत्संग प्रवचन माला में कुटुंब प्रबोधन परिवार की खुशहाली कि राज का व्याख्यान करते हुए कहा कि घर परिवार को खुशहाल व स्वर्ग बनाना है तो अहंकार ,अधीरता अधिक स्वत्रंत्रता व आलोचनाओं को त्यागना होगा । जिस घर के लोग प्रेम सहयोग प्रसंता सत्य हो वही स्वर्ग बसता है घर का वातावरण अच्छा बनने पर ही स्वर्ग का निर्माण होता है जिसमें जीवन में चित गुण होते हैं वही घर को स्वर्ग बना सकते हैं जीवन में देवत्व की प्रतिष्ठा करने पर ही स्वर्ग का सुख मिलेगा बदहाली से बचने के लिए उपाय बताते हुए सुखी परिवार का वर्णन किया अहंकार जीवन में अहंकार संबंधों को समाप्त कर देता है इसलिए मुनि ने अहंकार को मिटाने की कला सिखाते हुए कहा की विनम्रता को स्वीकार कर सामने वाले को सम्मान देना और परिवार में सम्बन्ध अच्छे होने चाहिए सम्मान देने से मिलता है मांगने से नहीं ,अहंकारी दुखी होने के तैयार होता है परंतु झुकने के लिये नहीं परिवार के प्रत्येक सदस्य को सम्मान देते हुए उनके कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए पिता का स्थान तो देवता से भी ऊंचा है मुनि ने कहा कि झुक जाओगे तो सुखी अकड़ोगे तो दुखी रहोगे मुनि ने कहा कि आज सहनशक्ति का अभाव हो गया है वर्तमान में छोटी-छोटी बातों पर अधीर हो जाते हैं नकारात्मक प्रतिक्रिया का संबंध खराब हो रहे हैं उनसे बचने के उपाय बताते हुए कहा कि मन में धैर्य है तो संयम आएगा और संयम सकारात्मक दिशा देता है इसे जीवन सुधर जाएगा । हड़बड़ से गड़बड़ होती है प्रतिक्रिया सदैव लड़वाती हे । और प्रतिभाव समझौते का रास्ता खोलती है अधिक स्वतंत्रता मुनि ने कहा कि वर्तमान में हर व्यक्ति स्वतंत्रता चाहते हैं लेकिन अधिक स्वतंत्रता के कारण परिवार गौण हो रहे हैं वह उन्हें स्वछंद बना देती है अपनों की उपेक्षा के कारण जीवन दुखी होता है परिवार में आजादी होनी चाहिए लेकिन अंकुश भी होना चाहिए आलोचना परिवार की खुशियां उपाय बताते हुए परिवार में किसी की आलोचना नहीं करनी चाहिए ,आलोचना आपस में नफरत पैदा करती है अनेक उदहारण देते हुवे मुनि ने बताया की परिवार के सदस्य की कमी के बजाए उसकी अच्छाई की और ध्यान देना चाहिए । आलोचना के कारण सही काम भी उलटे हो जाते हैं भारतीय संस्कृति में वैराग्य की बात है तलाक की नही । अपनी सोच व दृष्टि में बदलाव लाने के साथ अंहकार,अधीरता ,अधिक अधिक सवतंत्रता व् आलोचना को त्यागने पर ही परिवार सुखी और सार्थक हो पायेगा । मुनि विराट सागर महाराज ने कहा कि जिसके पा नही है उससे प्राप्त करना ही भक्ति हे । परिवार का सदस्य सहयोग नहीं करेंगे तो परिवार नही चलेगा वः टूट जाएगा । प्रत्येक सदस्यों को अपना अपना दायित्व निभाएंगे तो उस पर कभी भी संकट विपत्तिया नहीं आएगी संत बिगड़ी गाड़ी को सुधारने का वर्कशॉप है । मुनि ने गजल के माध्यम से बताया कि दुख सुख एक सबका अपना हो या बेगाना एक वह था जमाना एक है यह जमाना के माध्यम से जीवन का सार विस्तारपूर्वक समझाते हुए परिवार की खुशहाली का राज की जानकारी दी । इससे पूर्व मुनि प्रमाण सागर के मुखारविंद से मुनि विराट सागर महाराज के ससंघ सानिघ्य में दिव्य सत्संग प्रवचन माला का शुभारंभ नगर सुधार न्यास अलवर के चेयरमैन देवी सिंह शेखावत ,राधा सर्वेश्वर संकीर्तन मंडल अध्यक्ष ओमप्रकाश राठि,मार्बल सिटी हॉस्पिटल निदेशक ओमप्रकाश बेनावत , दाधीच समाज अध्यक्ष प्रेम सागर शर्मा ,ने चित्र अनावरण कर दिप प्रज्वलन किया ।
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