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April 21, 2018
जयपुर.बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के पद पर नाम की घोषणा जातीय समीकरणों के भंवर में उलझकर रह गई है। केंद्रीय नेतृत्व की ओर से जोधपुर सांसद व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत का नाम तीन दिन पहले तय किए जाने के बावजूद पार्टी में अन्य जातियों के नेता विरोध में आ गए हैं। भाजपा में काबिलियत से ज्यादा यह मुद्दा हावी हो गया है कि ऐसे व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जाए जो सब जातियों में स्वीकार्य हो। प्रदेश और केंद्र की सत्ता में भागीदारी के हिसाब से राजपूतों के वर्चस्व को लेकर खासकर जाट लॉबी गजेंद्र सिंहके खिलाफ हो गई है।
जाट नेताओं का तर्क है कि यदि राजपूत को अध्यक्ष बनाया जाता है तो विधानसभा चुनाव में पार्टी से जुड़े जाट वोटों को जोड़े रखना मुश्किल हो जाएगा। पार्टी में यह बात भी उठ रही है कि संगठन को मजबूती देने के लिए गैर जाट, गैर राजपूत, गैर एससी के अलावा अन्य जाति के नेता को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बैठाया जाए। ऐसे में किसी ब्राह्मण या वैश्य समाज से अध्यक्ष पर सहमति बनाने की मांग भी उठ रही है।
- एक तथ्य यह भी है कि खुद की वरिष्ठता को मुद्दा बनाकर प्रदेश के कई राजपूत नेता भी गजेंद्र सिंह स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। इसी रस्साकसी के कारण केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व में अध्यक्ष के नाम को लेकर एकराय नहीं बन पा रही है।
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