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March 12, 2018
राजेन्द्र सिंह हीरा
अजमेर
मित्रों नशे की लत के शिकार लावारिस बच्चों के अलावा शहर में भीख मांगने की भी समस्याएं हैं जिनकी और कोई भी ध्यान देना नहीं चाहता है।
शहर के खानपान वाले व्यस्तम स्थानों जैसे केसरगंज , नयाबाजार , मदारगेट व बजरंगगढ़ आदि पर छोटे छोटे बच्चे एवं महिलाऐं आपको भीख मांगती मिल जाएंगी।
चूंकि आप आराम से खा पी सकें इसलिये आप उनको कुछ न कुछ देकर आगे चलता करते हैं।
यह भावनात्मक ब्लैकमेल है।
दूसरे व्यस्तम ट्रैफिक सिग्नल्स पर भी भिखारियों का जमावड़े का आतंक है। कई कई बार हरी बत्ती हो जाने के बावजूद कार मालिक भीख देने और भिखारी लेने में व्यस्त रहता है और उस कार मालिक को को इसका पता तब चलता है जब पीछे वाले वाहन जोर जोर से हॉर्न बजाकर उसे हरी बत्ती होने की सूचना देते हैं।
यह बात बिलकुल सही है कि सभी विभागों को जिनका भी इस समस्या से वास्ता है उन्हें इस समस्या की पूर्ण जानकारी है पर वे इस दिशा में काम ही नहीं करना चाहते क्योंकि उन्हें इस समस्या की गम्भीरता का अंदाज़ा ही नहीं है।
अगर हम उसे लावारिस न समझकर देश का भविष्य समझें तो कोई बात बन सकती है।
पर ऐसा होता ही नहीं है।
दुःख तो इस बात का है कि महिला एवं बाल सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी जी ने भी इसे गम्भीरता से नहीं लिया।वे चाहतीं तो कुछ ठोस और कारगर उपाय कर सकती थीं पर उन्होंने भी केवल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने से इतर कुछ नहीं किया।
कुछ समय पूर्व मनन चतुर्वेदी जी ने पेंटिंग्स के जरिये नशे की लत की लत के शिकार लावारिस बच्चों को नशे से मुक्त होने का संदेश देने का प्रयास किया था।
मनन चतुर्वेदी जी निरक्षर , आवारा और कई बेघर भी होंगे ऐसे बच्चों में इतनी समझ कहाँ कि वे पेंटिंग्स देखकर अपना जीवन सुधार लें।
चलो मान लिया अपवाद के तौर पर दो चार बच्चों को समझ आ भी गई तो भी बाल आयोग ने उनके पुनरुत्थान और संरक्षण के लिए क्या किया ? कुछ भी नहीं ?
मनन चतुर्वेदी जी पेंटिंग्स देखकर घर के बच्चे नहीं सुधरते और आप इन नशे की लत वाले आवारा लावारिस बच्चों को सुधारने चली हैं ?
दुःख तो इसी बात का है कि कोई भी संगठन ईमानदारी से काम करना ही नहीं चाहता है।
थिनर जैसी हर जगह उपलब्ध चीज को प्रतिबन्धित करना भी मुश्किल है।
इसलिये इन लावारिस बच्चों को नशामुक्त और शिक्षित कर एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाने के लिये कुछ मज़बूत और सेवाभावी संगठनों को आगे आना चाहिये जिन्हें सरकार की तरफ से सुदृढ़ आर्थिक मदद मिले।
इस तरह के संगठन बच्चों को नशामुक्त करके उन्हें स्वावलम्बी बनाने की दिशा में कदम उठाएं ताकि भीख मांगने की प्रवृत्ति से भी इन बच्चों को निजात मिले।
जयहिन्द।
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