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December 27, 2017
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुष्कर तीर्थ के प्रति गहरी आस्था जुड़ी हुई है। वाजपेयी ने 25 साल पूर्व पुष्कर यात्रा के दौरान पुष्कर सरोवर के घटते जल स्तर पर गहरी चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस समस्या के समाधान के लिए स्थायी प्रयास किए जाएं। अफसोस यह है कि पुष्कर विकास के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन सरोवर का जल स्तर बढ़ाने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए। नतीजतन आज भी सरोवर का जलस्तर प्रति वर्ष घटता जा रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी 25 साल पूर्व 12 नवंबर 1992 को दूसरी बार पुष्कर आए थे। इस दौरान सरोवर के घटते जल स्तर को देख वे काफी चिंतित हुए। उन्होंने सरोवर को जल से परिपूर्ण रखे जाने की आवश्यकता भी व्यक्त की। खास बात यह है कि उन्होंने अपनी यह पीड़ा कार्यकर्ताओं से बातचीत में व्यक्त की और अपने पुष्कर तीर्थ पुरोहित के उपस्थिति रजिस्टर में भी उक्त समस्या पर अपनी चिंता दर्ज कराई। उन्होंने पुरोहित के रजिस्टर में लिखा था कि आज पुन: पुष्कर आने का सुअवसर मिला।
सरोवर को जल से परिपूर्ण कैसे रखा जाए, इस समस्या का स्थायी समाधान अभी तक नहीं मिला है। प्रयास जारी रहना चाहिए। वाजपेयी भले ही आज शारीरिक पीड़ा के कारण पुष्कर आने सरोवर के हालात देखने में असमर्थ हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पुष्कर सरोवर को पानी से लबालब भरा देखने का वाजपेयी का सपना आज भी अधूरा है। केंद्र राज्य में वर्तमान में भाजपा की ही सरकार है। विडंबना की बात यह है कि दोनों ही सरकारों ने पुष्कर के विकास के नाम पर करोड़ों रुपए तो खर्च किए, मगर वाजपेयी का सपना पूरा करने के लिए अभी तक सार्थक प्रयास नहीं किए।
वाजपेयीने सरोवर में किया स्नान
पूर्वप्रधानमंत्री वाजपेयी तीन साल के दौरान दो बार पुष्कर यात्रा करने आए थे। वे पहली बार 29 जनवरी 89 में पुष्कर आए। इस दौरान उन्होंने सरोवर में डुबकी लगा कर स्नान भी किया।
पुष्कर. तीर्थ पुरोहित के रजिस्टर में वाजपेयी द्वारा लिखित में जताई सरोवर के घटते जल स्तर पर चिंता।
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