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December 26, 2017
अपनों को दगा देने वालों को मौत के बाद भी न अपनों का कंधा नसीब होता है न ही कोई आंसू बहाने वाला होता है. टोंक में एक विवाहिता के साथ एक ऐसी ही घटना घटी. उसे पति, तीन संतानों, माता-पिता व भाई-बहन सबके होने के बाद भी अपने जीवन में की गई एक भूल के चलते लावारिस अवस्था में इस दुनिया से विदा होना पड़ा. टोंक शहर के बहीर स्थित श्मशान घाट में जल रही लकड़ियों के बीच ऊषा प्रजापत नामक उस विवाहिता का शव रखा गया है जिसके देवली गांव स्थित अपने ससुराल में पति है और तीन बच्चे हैं. यही नहीं उसके सावर स्थित पीहर में माता-पिता के अलावा भाई-बहन व अन्य कई रिश्तेदार भी हैं. लेकिन उसके द्वारा आठ माह पूर्व अपने पति व तीन बच्चों को छोड़कर पनवाड़ गांव निवासी अपने प्रेमी विक्रम सिंह के साथ भाग जाना इतना भारी पड़ा कि उसकी मौत के बाद भी उसके सभी रिश्तेदारों ने उससे रिश्ते नाते खत्म हो जाने की बात कहते हुए अंतिम संस्कार किया जाना तो दूर उसकी सूरत देखने तक से इनकार कर दिया.
जब पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी ऊषा का कोई परिजन टोंक नहीं पहुंचा तो पुलिस को नगर परिषद के कर्मचारीयों के सहयोग से उसका अंतिम संस्कार संपन्न कराना पड़ा.
तीन दिन पहले पुलिस को टोंक बस स्टैंड पर अचेतावस्था में मिली ऊषा ने अस्पताल में होश आने के बाद बताया था कि वह आठ माह पूर्व अपने तीन बच्चों व पति को छोड़ अपने प्रेमी विक्रम सिंह के साथ फरार हो गई थी और तभी से दोनों जयपुर रह रहे थे.
ऊषा ने मौत से पहले पुलिस को यह भी बताया था कि उसके प्रेमी विक्रम ने घटना वाले दिन उसे जहर मिला पानी पिला जान से मारने की कोशिश की थी. पुलिस ऊषा के इस बयान के बाद भी उसके जिंदा रहते उसके पति, बच्चों व पिता से संपर्क साधकर उन्हें टोंक बुलाया था लेकिन तब सभी ने सारे रिश्ते नाते ख़त्म बताकर उसे संभालने से इनकार कर दिया था.
ऐसी स्थिति में जब मौत के बाद भी ऊषा के परिजन उसका शव लेने नहीं पहुंचे तो पुलिस नें हिंदू परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार संपन्न करा अपनी जिम्मेदारी निभाई
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