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November 29, 2017
राजस्थान के धौलपुर जिले को ‘बाल अपराध मुक्त और बाल संरक्षण युक्त’ बनाने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. प्रयत्न संस्था और पुलिस प्रशासन के संयुक्तत्वाधान में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 पर मंगलवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया.
कार्यशाला के मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधिपति और राज्य स्तरीय चयन समिति के अध्यक्ष एनके जैन ने बताया कि बच्चों को शरीरिक पीड़ा देता है या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अश्लील चित्र दिखाता है आदि लैंगिक उत्पीड़न की श्रेणी में आती हैं.
उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ यौन शोषण के मामले होते है और बडे़ लोग उन पर विश्वास नहीं करते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. बच्चों की बातों पर विश्वास कर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करवानी चाहिए. अपराध की सूचना मिलने पर पुष्टि करें और जब आपको यह स्पष्ट हो जाए कि मामला 100 प्रतिशत सही है तब कार्रवाई करें.
उन्होंने बताया कि इस ध्यान रखें कि जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाए, अगर बच्चा सहमति देने में असमर्थ है, तो उसके माता-पिता या संरक्षक की सहमति लेना अनिवार्य है. बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह परमार ने बताया कि पुलिस प्रशासन और प्रयत्न संस्था के सहयोग से धौलपुर को बाल अपराध में कमी आई है और लोगों को जागरूक करने का काम किया है.
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