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May 15, 2019
अजमेर, 15 मई। लायंस क्लब अजमेर तथा हार्टफुलनेस संस्थान के द्वारा वैशाली नगर स्थित लायंस भवन में हार्टफुलनेस ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. विकास सक्सेना ने कहा कि ध्यान के माध्यम से मन को सुनियमित करके उसे अपने हाथों का औजार बनाया जा सकता है।
लायंस क्लब के अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि लायंस भवन में हार्टफुलनेस ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। इसके मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. विकास सक्सेना थे। डॉ. सक्सेना ने कहा कि मानव जीवन का केन्द्र मन है। इसको दबाकर नियत्रिंत करने का प्रयास अक्सर किया जाता है। मन को नियत्रिंत करने से वह व्यक्ति का गुलाम तो बन सकता है। लेकिन इसी मन को ध्यान के साथ सुनियमित करने से वह व्यक्ति के हाथ का औजार बन सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि मन को ध्यान के माध्यम से सुनियिमित करके हम स्वयं को सृजनात्मक अभिव्यक्ति के लिए तैयार करते है। यह तैयारी जिस स्तर तक होती है। व्यक्ति उतना ही बड़ा सृजन कर सकता है। इस सृष्टि का सृजनकर्ता परमात्मा को माना गया है। परमात्मा का निवास स्थान हमारा हृदय है। हमारा मन जब सुनियमित होकर हृदय से जुड़ जाता है। तो उसका सीधा सम्पर्क परमात्मा से हो जाता है। परम सृजनकर्ता से सम्पर्क स्थापित हो जाने से व्यक्ति भी नए सृजन की ओर अग्रसर होने लगता है।
उन्होंने कहा कि विश्व के समस्त आविष्कारकों ने मन को साधकर ही नए सृजन अंजाम दिए है। उन्होंने तैयारी और रिलेक्सेशन के मध्य समन्वय स्थापित किया। इसके परिणामस्वरूप उन्हें इलहाम हुआ और मानव सभ्यता को नया आविष्कार प्रदान किया। इसी प्रकार बच्चों को सृजनात्मकता सीखाने के लिए उन्हें प्रेरित किए जाने की आवश्यकता है। बच्चों को नियत्रिंत करने के स्थान पर उन्हें एक बागवान की तरह पोषित करके सच्ची सृजनात्मकता विकसित की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि हार्टफुलनेस पद्धति से ध्यान करके व्यक्ति भावनाओं के साथ जीवन जीने के लिए तैयार हो जाता है। समस्त भावनाओं में प्रेम को सर्वोपरी माना गया है। प्रेम को परमात्मा का स्वरूप बताकर सभी को अपनाने का आह्वान किया गया है। प्रेम का स्त्रोत हृदय से आरम्भ होता है।
इस अवर पर लायंस क्लब के सचिव श्री हसंराज अग्रवाल, कोषाध्यक्ष श्री जी.डी.विरेन्दानी सहित समस्त सदस्य उपस्थित थे।
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